जन्म कुंडली विश्लेषण
Birth Chart
Transit Chart
कुंडली विश्लेषण : उदाहरण
तुला लग्न की कुंडली हैं लग्नेश बनते है शुक्र जो की रोग-ऋण -शत्रु भाव में शुक्र की सम राशि मीन में है, चंद्र राशि वृश्चिक है। सूर्य राशि मीन है। आपकी कुंडली में मंगल योग नही हैं । शुक्र के लिए बुध, शनि मित्र सूर्य, चन्द्र शत्रु और मंगल, बृहस्पति सम है। (फलदीपिका के अनुसार ) इस राशि में ग्यारहवें भाव का स्वामी सूर्य बाधाकारक होता है ।
पहला भाव तुला राशि, स्वामी शुक्र ।
पहले भाव को लगन कहते हैं। इस भाव का
दृष्टि
कारक सूर्य
है। इस भाव से स्वास्थ्य, जीवंतता, सामूहिकता, व्यक्तित्व, आत्मविश्वास, आत्मसम्मान, आत्मप्रकाश, आत्मा आदि को देखा जाता है। । शुक्र, पहला भाव से छठे - रोग-ऋण -शत्रु भाव में उच्च का होकर सम राशि में सूर्य और बुध के साथ स्थित है । छठा भाव में होने के कारण अपने घर 8, 1 भाव में कुछ ना कुछ कमी रहेगी ।स्वास्थ्य को लेकर कुछ समस्याएंदृष्टि
दूसरा भाव वृश्चिक राशि, स्वामी मंगल ।
इसे धन भाव कहा जाता है। इस भाव का
दृष्टि
बृहस्पति की सातवीं मित्र दृष्टि । आर्थिक स्थिति मजबूत रहेगी
शनि की दसमीं शत्रु दृष्टि । काफी संघर्ष करना पड़ सकता है।
कारक गुरु
है। इस भाव से धन, आर्थिक स्थिति, कुटुम्ब व पैतृक संपदा आदि का विचार किया जाता है । मंगल, दूसरा भाव से आठवें - भाग्य-धर्म भाव में शत्रु राशि में स्थित है । काफी संघर्ष करना पड़ सकता है। दृष्टि
बृहस्पति की सातवीं मित्र दृष्टि । आर्थिक स्थिति मजबूत रहेगी
शनि की दसमीं शत्रु दृष्टि । काफी संघर्ष करना पड़ सकता है।
तीसरा भाव धनु राशि, स्वामी बृहस्पति ।
इसे सहज भाव कहा जाता है। इस भाव का
दृष्टि
मंगल की सातवीं मित्र दृष्टि । भाई-बहनों को कामयाबी मिलेगी।
कारक मंगल
है। इस भाव से पराक्रम, छोटे भाई बहिन आदि का विचार किया जाता है। बृहस्पति, तीसरा भाव से छठे - आयु भाव में शत्रु राशि में स्थित है । आठवां भाव में होने के कारण अपने घर 3, 6 भाव में कुछ ना कुछ कमी रहेगी ।भाई-बहनों के कैरियर में वृद्धि होगी।दृष्टि
मंगल की सातवीं मित्र दृष्टि । भाई-बहनों को कामयाबी मिलेगी।
चौथा भाव मकर राशि, स्वामी शनि ।
इसे सुख भाव कहा जाता है। इस भाव का
दृष्टि
मंगल की आठवीं सम दृष्टि । घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहेगा।
बृहस्पति की नौवीं सम दृष्टि । घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहेगा।
कारक चंद्रमा
है। इस भाव से माता, सुख, घर, सुरक्षा की भावना, पारिवारिक प्रेम आदि का विचार किया जाता है। शनि, चौथा भाव से दूसरे - संतान भाव में अपनी ही राशि में स्थित है । घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहेगा।दृष्टि
मंगल की आठवीं सम दृष्टि । घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहेगा।
बृहस्पति की नौवीं सम दृष्टि । घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहेगा।
पांचवां भाव कुंभ राशि, स्वामी शनि ।
इसे संतान भाव कहा जाता है। इस भाव का
दृष्टि
कारक गुरु
है। इस भाव से बुद्धि , अभिरुचि , मैत्री , जुआ, सट्टा आदि का विचार किया जाता है। शनि इसी - संतान भाव में अपनी ही राशि में स्थित है । संतान के के साथ वैचारिक मतभेद संभव है।दृष्टि
छठा भाव मीन राशि, स्वामी बृहस्पति ।
इसे शत्रु भाव कहा जाता है। इस भाव का
दृष्टि
कारक मंगल
है। इस भाव से ऋण, रोग, शत्रु , सेवा, संघर्ष व चिंता आदि का विचार किया जाता है। बृहस्पति, छठा भाव से तीसरे - आयु भाव में शत्रु राशि में स्थित है । आठवां भाव में होने के कारण अपने घर 3, 6 भाव में कुछ ना कुछ कमी रहेगी । किसी तरह के विवाद या झमेले में न पड़ें।दृष्टि
सातवां भाव मेष राशि, स्वामी मंगल ।
इसे पत्नी भाव कहा जाता है। इस भाव का
दृष्टि
शनि की तीसरी शत्रु दृष्टि । प्रेम और दाम्पत्य दोनों जीवन में लड़ाई झगड़ा सम्भव है ।
कारक शुक्र
है। इस भाव से पत्नी, विवाह, साझेदारी व व्यपार आदि का विचार किया जाता है। मंगल, सातवां भाव से तीसरे - भाग्य-धर्म भाव में शत्रु राशि में स्थित है । प्रेम और दाम्पत्य दोनों जीवन में लड़ाई झगड़ा सम्भव है ।दृष्टि
शनि की तीसरी शत्रु दृष्टि । प्रेम और दाम्पत्य दोनों जीवन में लड़ाई झगड़ा सम्भव है ।
आठवां भाव वृषभ राशि, स्वामी शुक्र ।
इसे आयु भाव कहा जाता है। इस भाव का
दृष्टि
चन्द्र की सातवीं सम दृष्टि । कुछ परेशानी भी बनी रहेंगी
कारक शनि
है। इस भाव सेअपमान, कलंक, विपदा, मृत्यु आदि का विचार किया जाता है। शुक्र, आठवां भाव से ग्यारहवें - रोग-ऋण -शत्रु भाव में उच्च का होकर सम राशि में सूर्य और बुध के साथ स्थित है । छठा भाव में होने के कारण अपने घर 8, 1 भाव में कुछ ना कुछ कमी रहेगी ।पैतृक संपत्ति को लेकर घर में विवाद हो सकता हैदृष्टि
चन्द्र की सातवीं सम दृष्टि । कुछ परेशानी भी बनी रहेंगी
नौंवां भाव मिथुन राशि, स्वामी बुध ।
इसे धर्म भाव कहा जाता है। इस भाव का
दृष्टि
कारक गुरु
है। इस भाव से धरम, अध्यात्म , पिता, गुरु, भाग्य, यात्रा आदि का विचार किया जाता है। बुध, नौंवां भाव से दसवें - रोग-ऋण -शत्रु भाव में नीच का होकर सम राशि में सूर्य और शुक्र के साथ स्थित है । छठा भाव में होने के कारण अपने घर 9, 12 भाव में कुछ ना कुछ कमी रहेगी ।भाग्य के ऊपर ज्यादा भरोसा करने की जरुरत नहीं है। दृष्टि
दसवां भाव कर्क राशि, स्वामी चन्द्र ।
इसे कर्म भाव कहा जाता है। इस भाव का
दृष्टि
कारक बुध
है। इस भाव से व्यापार, आजीविका , यश, प्रतिष्टा आदि का विचार किया जाता है। चन्द्र, दसवां भाव से पांचवे - धन भाव में नीच का होकर सम राशि में स्थित है । नौकरी और व्यवसाय में अकारण वाद-विवाद से बचने की कोशिश करें। दृष्टि
ग्यारहवां भाव सिंह राशि, स्वामी सूर्य ।
इसे लाभ भाव कहा जाता है। इस भाव का
दृष्टि
शनि की सातवीं शत्रु दृष्टि । लाभ में कमी हो सकती है।
कारक गुरु
है। इस भाव से उन्नति, विकास, आय , लाभ आदि का विचार किया जाता है। सूर्य, ग्यारहवां भाव से आठवें - रोग-ऋण -शत्रु भाव में मित्र राशि में बुधशुक्र के साथ स्थित है । छठा भाव में होने के कारण अपने घर 11 भाव में कुछ ना कुछ कमी रहेगी ।लाभ में कमी हो सकती है।दृष्टि
शनि की सातवीं शत्रु दृष्टि । लाभ में कमी हो सकती है।
बारहवां भाव कन्या राशि, स्वामी बुध ।
इसे व्यय भाव कहा जाता है। इस भाव का
दृष्टि
सूर्य की सातवीं सम दृष्टि । आय के साथ-साथ ख़र्चों में भी वृद्धि होगी।
बुध की सातवीं अपनी ही दृष्टि । आय के साथ-साथ ख़र्चों में भी वृद्धि होगी।
शुक्र की सातवीं मित्र दृष्टि । बाहरी सम्बन्धो से लाभ । ख़र्चों पर लगाम नहीं लगाया तो आपकी आर्थिक स्थिति गड़बड़ा सकती है।
मंगल की चौथी शत्रु दृष्टि । घटना-दुर्घटना का योग बना हुआ है इसलिए गाड़ी चलाते समय सावधानी बरते।
बृहस्पति की पांचवी शत्रु दृष्टि । घटना-दुर्घटना का योग बना हुआ है इसलिए गाड़ी चलाते समय सावधानी बरते।
कारक शनि
है। इस भाव से हानि, दान, मुक्ति, व्यय आदि का विचार किया जाता है। बुध, बारहवां भाव से सातवें - रोग-ऋण -शत्रु भाव में नीच का होकर सम राशि में सूर्य और शुक्र के साथ स्थित है । छठा भाव में होने के कारण अपने घर 9, 12 भाव में कुछ ना कुछ कमी रहेगी ।घटना-दुर्घटना का योग बना हुआ है इसलिए गाड़ी चलाते समय सावधानी बरते। दृष्टि
सूर्य की सातवीं सम दृष्टि । आय के साथ-साथ ख़र्चों में भी वृद्धि होगी।
बुध की सातवीं अपनी ही दृष्टि । आय के साथ-साथ ख़र्चों में भी वृद्धि होगी।
शुक्र की सातवीं मित्र दृष्टि । बाहरी सम्बन्धो से लाभ । ख़र्चों पर लगाम नहीं लगाया तो आपकी आर्थिक स्थिति गड़बड़ा सकती है।
मंगल की चौथी शत्रु दृष्टि । घटना-दुर्घटना का योग बना हुआ है इसलिए गाड़ी चलाते समय सावधानी बरते।
बृहस्पति की पांचवी शत्रु दृष्टि । घटना-दुर्घटना का योग बना हुआ है इसलिए गाड़ी चलाते समय सावधानी बरते।