कुंडली विश्लेषण
जन्म चार्ट
गोचर चार्ट
कुंडली विश्लेषण
दशा : बुध / शुक्र / बुध / राहु / चन्द्र
लग्नेश , व्यय भाव में है
राशि स्वभाव शीर्षोदय, पुरुष, अग्नि, चर , पूर्व, क्षत्रिय, तामसिक, धातु, चतुष्पद, सौर, लाल
पहलें भाव में कुंभ राशि हैं। लग्नेश बनते है शनि जो कि बारहवें भाव में मकर कि सम राशि में बुध और बृहस्पति के साथ विराजमान है।
दृष्टि पहलें भाव पर :
गोचर पहलें भाव में : सूर्य और शुक्र
द्वितीयेश , व्यय भाव में है
राशि स्वभाव शीर्षोदय, स्त्री, पृथ्वी, स्थिर, दक्षिण, वैश्य, राजसिक, मूल, चतुष्पद, सौर, सफेद
दूसरे भाव में मीन राशि हैं। द्वितीयेश बनते है बृहस्पति जो कि बारहवें भाव में मकर कि सम राशि में बुध और शनि के साथ विराजमान है।
दृष्टि दूसरे भाव पर : शनि कि तीसरी अशुभ दृष्टि
गोचर दूसरे भाव में :
तृतीयेश , केंद्र - सुख भाव में है
राशि स्वभाव पृष्टोदय, पुरुष, वायु, द्विस्वभाव, पश्चिम, शूद्र, राजसिक, जीव, द्विपद, सौर, हरा
तीसरे भाव में मेष राशि हैं। तृतीयेश बनते है मंगल जो कि चौथे भाव में वृषभ कि सम राशि में राहु के साथ विराजमान है।
दृष्टि तीसरे भाव पर :
गोचर तीसरे भाव में :
चतुर्थेश , केंद्र - तन भाव में है
राशि स्वभाव शीर्षोदय, स्त्री, जल, चर , उत्तर, ब्राह्मण, सात्विक, धातु, सरीसिप, सौर, गुलाबी
चौथे भाव में वृषभ राशि हैं। चतुर्थेश बनते है शुक्र जो कि पहलें भाव में कुंभ कि मित्र राशि में सूर्य के साथ विराजमान है।
दृष्टि चौथे भाव पर : बृहस्पति कि पांचवी शुभ दृष्टि , केतु कि सातवीं अशुभ दृष्टि और चन्द्र कि सातवीं दृष्टि
गोचर चौथे भाव में : मंगल और राहु
पंचमेश , व्यय भाव में है
राशि स्वभाव पृष्टोदय, पुरुष, अग्नि, स्थिर, पूर्व, क्षत्रिय, सात्विक, मूल, चतुष्पद, चंद्र, श्वताभ
पांचवे भाव में मिथुन राशि हैं। पंचमेश बनते है बुध जो कि बारहवें भाव में मकर कि मित्र राशि में बृहस्पति और शनि के साथ विराजमान है।
दृष्टि पांचवे भाव पर :
गोचर पांचवे भाव में :
षष्ठेश , केंद्र-कर्म भाव में है
राशि स्वभाव पृष्टोदय, स्त्री, पृथ्वी, द्विस्वभाव, दक्षिण, वैश्य, राजसिक, जीव, द्विपद, चंद्र, रंग बिरंगा
छठे भाव में कर्क राशि हैं। षष्ठेश बनते है चन्द्र जो कि दसवें भाव में वृश्चिक कि मित्र राशि में केतु के साथ विराजमान है।
दृष्टि छठे भाव पर : शनि कि सातवीं अशुभ दृष्टि , बृहस्पति कि सातवीं शुभ दृष्टि और बुध कि सातवीं दृष्टि
गोचर छठे भाव में :
सप्तमेश , केंद्र - तन भाव में है
राशि स्वभाव पृष्टोदय, पुरुष, वायु, चर , पश्चिम, शूद्र, राजसिक, धातु, द्विपद, चंद्र, काला
सातवें भाव में सिंह राशि हैं। सप्तमेश बनते है सूर्य जो कि पहलें भाव में कुंभ कि शत्रु राशि में शुक्र के साथ विराजमान है।
दृष्टि सातवें भाव पर : मंगल कि चौथी अशुभ दृष्टि , सूर्य कि सातवीं अशुभ स्व दृष्टि और शुक्र कि सातवीं शुभ दृष्टि
गोचर सातवें भाव में :
अष्टमेश , व्यय भाव में है
राशि स्वभाव पृष्टोदय, स्त्री, जल, स्थिर, उत्तर, ब्राह्मण, तामसिक, मूल, चतुष्पद, चंद्र, केसरी
आठवें भाव में कन्या राशि हैं। अष्टमेश बनते है बुध जो कि बारहवें भाव में मकर कि मित्र राशि में बृहस्पति और शनि के साथ विराजमान है।
दृष्टि आठवें भाव पर : बृहस्पति कि नौवीं शुभ दृष्टि
गोचर आठवें भाव में :
नवमेश , केंद्र - तन भाव में है
राशि स्वभाव शीर्षोदय, पुरुष, अग्नि, द्विस्वभाव, पूर्व, क्षत्रिय, सात्विक, जीव, चतुष्पद, सौर, सुनहरा
नोवै भाव में तुला राशि हैं। नवमेश बनते है शुक्र जो कि पहलें भाव में कुंभ कि मित्र राशि में सूर्य के साथ विराजमान है।
दृष्टि नोवै भाव पर : शनि कि दसमीं अशुभ उच्च दृष्टि
गोचर नोवै भाव में :
दशमेश , केंद्र - सुख भाव में है
राशि स्वभाव शीर्षोदय, स्त्री, पृथ्वी, चर , दक्षिण, वैश्य, तामसिक, धातु, द्विपद, सौर, विवध रंग
दसवें भाव में वृश्चिक राशि हैं। दशमेश बनते है मंगल जो कि चौथे भाव में वृषभ कि सम राशि में राहु के साथ विराजमान है।
दृष्टि दसवें भाव पर : मंगल कि सातवीं अशुभ दृष्टि और राहु कि सातवीं अशुभ दृष्टि
गोचर दसवें भाव में : चन्द्र और केतु
एकादशेश , व्यय भाव में है
राशि स्वभाव पृष्टोदय, पुरुष, वायु, स्थिर, पश्चिम, शूद्र, तामसिक, मूल, द्विपद, चंद्र, भूरा
ग्यारहवें भाव में धनु राशि हैं। एकादशेश बनते है बृहस्पति जो कि बारहवें भाव में मकर कि सम राशि में बुध और शनि के साथ विराजमान है।
दृष्टि ग्यारहवें भाव पर : मंगल कि आठवीं अशुभ दृष्टि
गोचर ग्यारहवें भाव में :
द्वादशेश , व्यय भाव में है
राशि स्वभाव उभयोदय, स्त्री, जल, द्विस्वभाव, उत्तर, ब्राह्मण, सात्विक, जीव, सरीसिप, चंद्र, सफ़ेद
बारहवें भाव में मकर राशि हैं। द्वादशेश बनते है शनि जो कि बारहवें भाव में मकर कि सम राशि में बुध और बृहस्पति के साथ विराजमान है।
दृष्टि बारहवें भाव पर :
गोचर बारहवें भाव में : बुध, बृहस्पति और शनि